Tuesday 16 October 2012

सेक्स की जानकारी देना

सेक्स की जानकारी देना


मेरा परिचय मेरे खास दोस्त के ऑफिस में इंटरव्यू देने आई एक लड़की से हुआ. मैं ही इंटरव्यू ले रहा था. वो लड़की नमस्ते कर के सामने कुर्सी पर बैठ गई. साधारण शक्ल सूरत की लड़की ५ फुट ६ इंच कद की थी. लेकिन उसका बदन बहुत आकर्षक है. एकदम सुता हुआ. उसने मुझे बहुत इम्प्रेस किया. मैंने उसको जाने के लिए बोला और कहा कि आपके फ़ोन पर कॉल करके आपको बुला लिया जाएगा.
मैंने अपने दोस्त को उस लड़की रीना को बुलाने को कह कर आगे के सारे इंटरव्यू कैंसल कर दिए और अपने ऑफिस में चला आया. मेरे दोस्त ने उस लड़की रीना को कॉल करके बधाई दी और ऑफिस जोइन करने के लिए कह दिया. जाने रीना ने मुझमे क्या देखा कि हम दोनों में धीरे धीरे बातचीत शुरू हुई फोन पर और फ़िर वो अपने ऑफिस के बाद मेरे ऑफिस में आने लगी. हम दोनों साथ में ही खाना खाते, नाश्ता करते और शाम को ७ बजे बाद मैं उसको उसके घर के बाहर मेन रोड पर छोड़ भी आता. फ़िर तो हम एक दूसरे से खुलते गए. मैं लगभग रोज ही उसको घर तक छोड़ने लगा. आश्चर्य की बात थी कि आज के जमाने में कोई ऐसी भी लड़की थी जिसको सेक्स की कोई जानकारी नही थी.
मेरी उस से कोई ग़लत फायदा उठाने की नीयत नही थी. डॉक्टर की तरह ही उस से भी अच्छी दोस्ती रखना चाहता था. इसलिए मैंने उसको सेक्स की जानकारी देना शुरू किया. हम और एक दूसरे के करीब आते गए इसके बावजूद कि वो जानती थी कि मैं शादी शुदा हूँ हम एक दूसरे को चाहने लगे. हम ने एक दूसरे को वादा किया कि हम एक दूसरे के साथ तब तक बंधे रहेंगे जब तक कि हमारे कोई और रिश्ते इस कारण ही बिगड़ने न लगें. हम एक दूसरे से चिपक कर बैठने लगे. उसको सेक्स चढ़ने लगा. शाम को मेरे ऑफिस में हम दोनों को छोड़ कर कोई नही होता था.
एक दिन एकांत पाकर मैंने ऑफिस में ही उसको होटों पर किस किया. हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा. फ़िर मैंने उसके बोबों पर हाथ रखा तो उसने कसकर मेरे हाथों को पकड़ लिया. उसकी हालत ख़राब होने लगी. थोडी देर रुक कर जब रीना थोड़ा सामान्य हुई तो मैं उसको उसके घर छोड़ आया.
फ़िर एक दिन हम कुछ ज्यादा ही फ्री हुए तो मैंने ऑफिस के दरवाजे में चाभी लगा कर बंद किया और वापस कुर्सी पर आकर उसका पायजामा नाड़ा खोल कर थोड़ा नीचे कर दिया और उसकी जांघें सहलाने लगा. रीना को सेक्स चढ़ने लगा. उसकी आँखें मुंदने लगी. मैंने पैंटी में हाथ डालना चाहा तो रीना ने मेरा हाथ पकड़ लिया बोली प्लीज नही. तो मैंने उसकी पैंटी की साइड से ऊँगली उसकी चूत पर छुआई. वो तो जैसे पागल हो गई. उसका सर मेरे सीने से लग गया. मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर लिपट गया और दूसरे हाथ से उसकी चूत साइड से सहलाता रहा. वो सेक्स में पिघलने लगी. फ़िर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में दे दिया. वो थोड़ा कसमसाई लेकिन मैंने हाथ नही हटाया. वो लम्बी साँसे लेने लगी. मैंने उसकी चूत सहलाना शुरू किया. और साथ में लिप किस भी शुरू कर दिया. मेरी इच्छा थी उस से आज ही सेक्स करने की. मैंने उसकी चूत में ऊँगली की. मुझे एक झटका सा लगा. वो अभी तक अनछुई थी. मैंने सोच लिया कि कोई बात नही, इस लड़की को लंड अंदर डाल कर नही करूँगा.
मैं खडा हो गया. और उसको भी कुर्सी से खडा कर लिया और हम एक दूसरे से होंट मिलाते हुए एक दूसरे की बाँहों में बंध गए. मैंने भी अपने पैंट और अंडरवीयर उतार कर लंड उसको खेलने को दे दिया. उसने लंड अपने हाथों में पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया. मैंने उसके बोबे दबाने शुरू कर दिए.
फ़िर थोडी देर में उसका कुरता ऊँचा करके मैंने उसके बोबे ब्रा से बाहर कर लिए और उनको चूसना शुरू कर दिया वो जल उठी. उसने कस कर मुझको बाँहों में ले लिया. मैंने उसकी हिप्स को टेबल टॉप के साथ लगाया और अपने लंड को उसकी चूत की दरार में लगा दिया और जोर से दबा कर धीरे धीरे चूतड़ चला कर उसके कलाईटोरिस को लंड से रगड़ देने लगा. हम एक दूसरे के होंट और जीभ को खूब चूसने लगे. रीना को भी मजा आने लगा. वो भी अपनी गांड चलाने लगी. अब मैंने अपना बायाँ हाथ उसके चूतड़ों के पीछे करके अपनी और भींच रखा था और दायें हाथ से उसके बोबे दबा रहा था. मुँह से मुह मिले हुए थे. उसके हाथ मेरी गर्दन पर लिपटे हुए थे. धीरे धीरे हमारी मंजिल करीब आती गई फ़िर वो और उसके बाद हम दोनों ही झड़ गए. कुर्सी पर बैठ कर एक दूसरे को बाँहों में ले कर सहलाने लगे. फ़िर थोडी देर बाद कपड़े पहन कर सामान्य हो गए.
आज कई महीने हो गए. हम एक दूसरे के साथ सुखी और संतुष्ट है. वो सेक्स जान चुकी है लेकिन अब भी हम इसी तरीके से करते हैं

Monday 8 October 2012

चूत पर हाथ

मैंने आपको बताया था कि मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्स अनुभव मेरी साली रजनी "बेबो" के साथ हुआ, जिसके बारे में मैं अपनी पिछली कहानी "मेरी साली-आधी घरवाली" में बता ही चुका हूँ। आपने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।
खैर अब आगे……
उस सैक्स अनुभव के बाद मैं और बेबो बहुत खुल गये थे। अब दिन में या रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद कर देता ताकि मेरी पत्नी और बच्चे को नींद में बाधा ना हो। ऐसा मैं अकसर ही करता था क्योंकि दिन में जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते और रात को फिर जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते। ये बात मेरी पत्नी जानती थी। चुकी वो ये बात जानती और समझती थी इसलिये हम पर बिलकुल शक नहीं करती थी और वो आराम से सोती थी। लेकिन उस सैक्स अनुभव के बाद लूडो या कैरम खेलना छोड कर हम दूसरा खेल खेलने लगे थे।
हम कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद करके दोनो एक दूसरे से लिपट जाते और लिपट-चिपट कर किस करते। फिर एक दूसरे को बाँहो में भर कर किस करने से बात आगे बढ कर एक दूसरे के अंगों को छूना शुरु हो जाता। बेबो ज़्यादातर सलवार सूट पहनती थी। इसलिये मैं बेबो के कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने और फिर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच जाता।
मैं ज़्यादातर टी-शर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की जिप खोलकर उसे जरा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर बेबो के हाथ में थमा देता। बेबो भी मेरे लण्ड को बिना झिझक के अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करती और जोर-जोर से हिलाती। एक-दो दिन बाद तो वो खुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई। यह सारा कार्यक्रम लगभग 10 से 15 मिनट तक चलता। हम दोनों बेहद गर्म हो जाते और मेरे लण्ड से और बेबो की चूत से कुछ चिकना सा द्रव्य निकलने लगता। उसके बाद हमारा चुदाई कार्यक्रम शुरु हो जाता।
मैं और बेबो सोफे पर बैठ जाते। फिर मैं बेबो की सलवार और उसकी पैंटी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। फिर कुछ देर मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में बैठ जाता और बेबो की चूत के बाल अपने मुँह में भर लेता। फिर अपनी जीभ से बेबो की चूत के जी-पॉइंट को रगड़ने और ऊपर-नीचे फिराने लगता।
बेबो गर्म होकर पागल हो जाती और मेरे बाल पकड़ लेती। हाँ, कहीं उसकी दीदी को ना सुन जाये इसलिये वो कोई आवाज़ तो नहीं करती, मगर फिर भी उसके मुँह से बहुत हल्की सी सिसकियाँ जरुर निकलने लगती। फिर वो मेरा सर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगती। मैं अपनी जीभ तेज-तेज उसकी चूत के जी-पॉइंट पर फिराने लगाता। जब उसकी चूत से कुछ चिकना-चिकना सा नमकीन पानी निकलने लगता तो मैं थोड़ा सा उसे टेस्ट करके बेबो से अलग हो जाता।
फिर मैं बेबो के सामने खड़ा हो कर अपना लोअर और जॉकी को उतार कर नीचे अपने पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। बेबो सोफे पर ही बैठी होती। फिर मैं खड़े-खड़े अपना लण्ड बेबो के मुँह की तरफ करता। बेबो समझ जाती और मेरा लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में भर लेती। फिर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगती। बेबो के ऐसा करने से ना चाहते हुऐ भी मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकियाँ निकलने लगती। मेरी सिसकियॉ सुनकर बेबो जोर-जोर से और तेज-तेज मेरे लण्ड को चूसने लगती। बेबो लगभग 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसती रहती।
मेरे मुंह धीमे-धीमे से "ओह बेबो! आह्…ओह! अह! सीईईईईइ, सीस्सईईइ!" की आवाजें निकलने लगती। थोड़ी देर बाद जब मुझे ऐसा लगता कि अगर बेबो इसी तरह से मेरे लण्ड को चूसती रही तो मैं इसके मुँह में ही डिस्चार्ज हो जाउँगा, तब मैं अपना लण्ड बेबो के मुँह से बाहर खींच लेता। फिर मैं लोअर और जौकी को ऊपर उठा कर, हाथ से पकड़ कर, धीरे-धीरे अपनी पत्नी के कमरे के दरवाजे के पास जाता और दरवाज़े पे कान लगा कर अपनी पत्नी के हल्के खर्राटों को सुनने की कोशिश करता और जब ये इतमिनान हो जाता कि वो सो रही है, तब मैं वापस बेबो के पास आ जाता।
बेबो धीरे से पूछती "दीदी सो रही है क्या?"
मैं हाँ में सर हिला देता।
फिर मैं बेबो के पैर ऊपर करके उसे सोफा पर लिटा देता। मैं अपनी टी-शर्ट और बेबो अपना कुर्ता कभी नहीं उतारते थे। सेंटर टेबल पर लूडो बिछा होता था। फिर मैं उसकी सलवार और उसकी पैंटी को उसके एक पैर मे से उतार कर उसके दूसरे पैर में कर देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता। फिर मैं भी अपना लोअर और जौकी अपने एक पैर से निकाल कर दूसरे पैर में फंसा देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता, ताकि अगर मेरी पत्नी अचानक उठ भी जाये और दरवाजा खोलने के लिये कहे तो मैं और बेबो जल्दी से अलग होकर अपने-अपने लोअर और अन्डरवियर पहन सके और सेंटर टेबल पर लूडो बिछा देखकर उसे कोई शक ना हो।
फिर मैं बेबो की बगल में लेट कर उसे अपने साथ सटा कर लिटा लेता। हम दोनो सोफ़े पर चिपक कर लेट जाते। फिर कुछ देर तक मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को कुरते के ऊपर से दबाने लगता। फिर कुछ देर बाद मैं उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके सख़्त हो चुके दोनो बुब्स को एक-एक करके दबाने लगता। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा होता था। फिर मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगता। फिर उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगता। फिर मैं मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपनी उँगलियॉ बेबो की चूत के अन्दर डाल देता। फिर अपनी उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगता। फिर मैं बेबो की चूत के दाने को रगड़ने लगता।
बेबो के मुँह से सिसकियॉ निकलने लगती। बेबो मस्त हो जाती। वो बहुत गरम हो जाती और जोर-जोर से, आवाज़ रोक कर सिसकारियाँ लेने लगती और अपने होंठ चूसने लगती। फिर वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगती। यह सिगनल होता कि वो चुदवाने के लिये तैयार है। फिर मैं उसे धीरे से सौफे पर सीधा लिटा देता और मैं बेबो के ऊपर आकर लेट जाता। बेबो का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे दब जाता। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा होता। बेबो बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लेती। फिर वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगती। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो जाता।
बेबो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगती। फिर वो मेरा तन कर लम्बा हो चुका लण्ड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगती। तब तक मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो चुका होता। फिर मैं बेबो की टांगे खोल कर उसकी टांगों के बीच में अधलेटा होकर मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर बेबो की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगता। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती। कुछ देर बाद बेबो की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगता था। अब वो मदहोश होने लगती और उसकी आंखें बंद होने लगती। फिर बेबो मेरे कान के पास फुसफसा कर बोलती "ओह जीजू, प्लीज डालो ना। मेरे तो तन-बदन में आग सी लग रही हैं।"
यह सुन कर मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उसके चूत के गुलाबी छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारता जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में बेबो की कुंवारी और चिकनी चूत में पूरा अन्दर चला जाता। मेरे लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से हल्की सी सिसकी निकलती और वो मुझे अपनी बाँहो में कस लेती। मैं भी उसे कस कर पकड़ लेता और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा जाते। फिर मैं अपने लण्ड को बेबो की चिकनी चूत के अन्दर पूरा डाले हुऐ रुक जाता और बेबो के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगता।
कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहते और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रह्ते। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया होता। फिर कुछ देर बाद उसके होंठों को चूसते हुऐ मैं उसे चोदना शुरु कर देता। पहले मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगता। कुछ देर बाद बेबो भी जोश में आ जाती और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाने लगती। मैं बेबो को अपनी बाँहो में भर लेता। बेबो भी मुझे अपनी बाँहो मे पूरी ताकत से कस लेती। शुरु-शुरु में कुछ देर तक मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से ही बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता रहता। फिर कुछ देर बाद जब बेबो अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लेती तो मेरी रफ़्तार बढ़ने लगती। फिर मैं अपने लण्ड को तेज-तेज बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता।
धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार और भी बढ़ने लगती। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता और मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगता। जब मैं फुल स्पीड में बेबो को चोदता तो सोफे की वजह से चुदाई का मजा दुगना हो जाता। सोफे की फोम और फोम के नीचे स्प्रिन्गों की वजह से जब मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड का धक्का लगाता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग दब जाते और जैसे ही मैं अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींचता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग बेबो के हिप्स को ऊपर धकेल देते। सच इस वजह से सोफे पर तो बेबो को चोदने में दुगना मजा आता।
थोड़ी देर बाद बेबो भी नीचे से अपनी कमर को उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगती और मज़े में धीरे-धीरे बोलने लगती "सी… सी… और जोर.. से जीजूजुजु…… …येसस्स्स्स्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स्स्स जोर से करो। प्लीज जीजू तेज-तेज करो ना। बहुत अच्छा लग रहा है। बडा मज़ा आ रहा है।"
बेबो को सचमुच में मजा आने लगता था और वो अपने हाथ सोफे पर टिका कर जोर जोर से अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करने लगती थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मारने लगता था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करके करती। फिर वो मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लेती। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स को तेज-तेज ऊपर-नीचे कर रही होती थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स को पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। इससे मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगता। फिर मैं सोफे पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगता।
अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा होता था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही होती थी। वो मदहोश हो रही होती थी। मैं रुक कर धीरे से बेबो के कान में कहता "बेबो अच्छा लग रहा है क्या?"
बेबो धीरे से बोलती "हाँ जीजू, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज जीजू रुकें मत। तेज-तेज करते रहो। ओह आहा… ह… प्लीज तेज-तेज करो। मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ। अब रुको मत। प्लीज तेज-तेज करते रहो।"
बेबो के मुँह से ये सुन कर मैं फिर से बेबो को चोदना शुरु कर देता और अपनी रफ्तार को और भी बढ़ा देता। फिर मैं बेबो के पैर अपने कंधे पर रख कर उसके बडे-बडे हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लेता और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगता। बेबो के मुँह से मस्ती में बहुत धीरे से "ओह्ह्ह्ह्ह्होहोहोह सिस्स्स्स्स्स्सह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाहाह्ह्हआआआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज जीजू तेज-तेज करो। ओह जीजू !" निकलने लगता।
मैं बेबो के होंठों को अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगता। मेरा लण्ड सटासट बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारता। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ने वाले होते तो हम दोनों एक साथ अकड़ से जाते और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगते।
फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लेती और बोलती,"जीजू, मेरा तो काम होने वाला है। प्लीज जीजू ! अब खूब जोर-जोर से करो। येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस। औह जीजू मैं तो हो गईईईईईईई…! इसके साथ ही बेबो की चूत अपना पानी छोड़ देती। फिर वो एक धीमी सी आह भरती और फिर वो ढीली पड़ जाती।
मैं समझ जाता कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला होता था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगता और जोर-जोर से अपने लण्ड को बेबो की चूत में पेलने लगता। बेबो मुझे जल्दी से होने को और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगती। लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर तेज-तेज धक्के लगाना जारी रखता। करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगता तो मैंने अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींच लेता और अपने लण्ड के सुपाड़े को अपनी मुठ्ठी में भर लेता और अपनी मुठ्ठी में ही डिस्चार्ज हो जाता।
फिर मैं तुरन्त उठ कर, अपना लोअर और जौकी एक पैर में फँसाए हुए धीरे-धीरे चलता हुआ वाश-बेसिन के पास जा कर अपना लण्ड और हाथ धोता। फिर अपना लोअर पहन कर सोफे के पास आता और बेबो के ऊपर गिर जाता। बेबो अपनी सलवार पहन चुकी होती थी। फिर मैं कुछ देर उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता। फिर मैं बेबो की बगल में लेट जाता। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार करती थी। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठकर अपने कपड़े ठीक करते और फिर सोफे पर बैठकर आराम से नार्मल बातें करनी शुरु कर देते जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
मैं धीरे से बेबो से पूछता कि कैसा लगा तो वो बोलती,"जीजू! बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। सचमुच मैं तो आपकी दीवानी बन गई हूँ।"
मैं उससे कहता कि चलो कल फिर करेंगे।
तो बेबो बोलती,"अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।"
यह सुन कर मैं खींच कर उसे अपनी गोद में लिटा लेता। मैं सोफे के एक कोने पर बैठा होता और बेबो मेरी गोद में लेटी होती। फिर मैं अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख देता। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों मे भर कर चूसने लगता। बेबो भी मुझ से लिपट सी जाती। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उसके बालों में हाथ फिराने लगता। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगता। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगता। फिर मैं मजाक में उसके कान में कहता कि बेबो चलो एक बार फिर करते हैं।
यह सुनते ही वो एकदम छटक कर अलग हो जाती और बोलती,"क्या जीजू ! बडे गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी उठने वाली होंगी। मैं चाय बना के लाती हूँ। फिर चलो लूडो खेलेंगे।"
ये कह कर वो शरारत से अपना हाथ हिला कर बाय किया करती और फिर वो तेजी से किचन की और बढ़ जाती।
मैं सोफे पर बैठा-बैठा उसे जाते हुए देखता रहता। फिर मैं अपनी आँखें बंद करके मन ही मन यह सोच कर बहुत खुश होता था कि कैसे मैंने बेबो को अभी-अभी सोफे पर दाजम कर चो है। कुछ देर बाद बेबो चाय लाकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ जाती और हम चाय की चुस्की लेते-लेते बातें करना और लूडो खेलना शुरु कर देते।
इस तरह मैंने अलग-अलग दिन कुल 5 बार मैंने बेबो के साथ सोफे पर सैक्सपिरियंस किया। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में मैंने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया।
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्स के बारे में बात नहीं करते है। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। सच्चा प्यार मरता नहीं है

Saturday 6 October 2012

पड़ोसन की चूत

पड़ोसन की चूत

मेरी उमर २२ साल हैं.मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं बचपन से ही लड़कियों और आंटियों से शरमाता था। मेरे पड़ोस में एक नई लड़की पायल आई हुई थी। उसकी उमर भी १९-२० के आस पास होगी, देखने में वो एकदम मस्त थी। जब मैंने उससे पहली बार देखा था तो तभी से उसे चोदने की सोचने लगा। उसे देखते ही मेरा लण्ड खडा हो जाता था। आख़िर में भगवान ने मेरी सुन ही ली। मेरे घर के सारे लोग सर्दियों की छुट्टी में गाँव चले गए। मेरे पेपर चल रहे थे सो मैं नहीं गया। खाना खाने के लिए पड़ोस में बोल गई थी मेरी मम्मी।
एक दो दिन तो सब कुछ सामान्य रहा।
तीसरे दिन दोपहर को वो घर में अकेली थी। मैं दोपहर का खाना खाने के लिए उनके घर गया। उसने खाना लगा दिया, मैंने कहा- तुम नहीं खाओगी क्या?
तो वो बोली- मैं पहले नहा कर फिर खाना खाऊँगी ! और वो नहाने चली गई। मुझे पेट की नहीं चूत की भूख लग रही थी सो मैं भी उसके पीछे हो लिया। मैंने बाथरूम के दरवाज़े के छेद से देखा- उसने एक-एक करके सारे कपड़े उतार दिए।
मेरे शरीर में अजीब सा करंट दौड़ गया। यह सब देख कर मुझे मजा आ रहा था और डर भी लग रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए। मेरा लण्ड एक दम ९० डिग्री पर सीधा खडा हो गया था और ऐसा लग रहा था कि पैन्ट को फ़ाड़ कर बाहर निकल आएगा। कुछ देर बाद पायल ने कपड़े पहनने शुरू कर दिए। मैं जल्दी से आकर खाने के पास बैठ गया।
नहाने के बाद पायल एकदम परी की तरह लग रही थी। उसने पूछा कि तुमने अभी तक खाना क्यों नहीं खाया?
मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था। उसकी निगाह उस पर पड़ गई। मैं अब उससे नज़र नहीं मिला पा रहा था। मैंने बात बदलते हुए कहा कि दोनों मिलकर खाना खा लेते हैं।
पर वो मेरा लण्ड खडा देख कर मुझसे मज़े लेना चाहती थी। पर पहल मेरी तरफ से हो, इसके लिए उसने कहा कि खाना ठंडा हो गया हैं, तुम इसे गरम कर लाओ, मैं अभी नहा कर आई हूँ।
मैं अपने लण्ड को दुबका कर बिठा था। पायल बोली- यह क्या छुपा रहे हो?
मैं पूरी तरह झेंप गया था। मैंने कहा- कुछ नहीं !
तो वो बोली- यह छुपाने के लिए नहीं होता !
इतना कहते ही मैंने उसे पकड़ लिया और किस करने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा।
धीरे -२ उसे भी मज़ा आने लगा। वो मेरे लण्ड को हाथ से सहलाने लगी। हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े एक-२ करके उतार दिए। मैंने जैसे ही उसकी चूत में ऊँगली की, उसके मुँह से उह आह उह्ह आह्ह्ह की आवाजें निकलने लगी। मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे मैं चोदने के सपने देखता था, आज उसे चोद रहा हूँ।
वो पूरे जोश में आ गई थी और तेज़-२ बोल रही थी- चोद दो मु्झे आज ! जी भर कर चोदो !
मैंने भी लण्ड उसके छेद पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया !
लण्ड का सुपारा अंदर जाते ही वो ज़ोर से चिल्लाई और बोली- थोड़ा धीर करो !
मैंने उसकी एक ना सुनी और एक और जोरदार धक्का लगते हुए लण्ड को पूरा घुसेड़ दिया उसकी चूत में।
फिर धीरे-२ धक्के लगाने शुरू किए। अब वो भी गांड हिला कर मेरा साथ दे रही थी।
२०-३० धक्कों के बाद वो और मैं दोनों झड़ गए।
मुझे पहली बार एहसास हुआ कि पृथ्वी पर स्वर्ग सिर्फ़ चूत मारने में हैं।
आगे भी मैंने कई बार पायल को चोदा !

Monday 1 October 2012

बलात्कार के साथ चुदाई

आसाम की हरी भरी वादियां और जवान दिलों का संगम… किसको लुभा नहीं लेगा। ऐसे ही आसाम की हरी भरी जगह पर मेरे पति का पद्स्थापन हुआ। हम दोनों ऐसी जगह पर बहुत खुश थे। हमे कम्पनी की तरफ़ से कोई घर नहीं मिला था, इसलिये हमने थोड़ी ही दूर पर एक मकान किराये पर ले लिया था… उसका किराया हमें कम्पनी की तरफ़ से ही मिलता था। मेरे पति सुनील की ड्यूटी शिफ़्ट में लगती थी। घर में काम करने के लिये हमने एक नौकरानी रख ली थी। उसका नाम आशा था। उसकी उम्र लगभग 20 साल होगी। भरपूर जवान, सुन्दर, सेक्सी फ़िगर… बदन पर जवानी की लुनाई … चिकनापन … झलकता था।
सुनील तो पहले दिन से ही उस पर फ़िदा था। मुझसे अक्सर वो उसकी तारीफ़ करता रहता था। मैं उसके दिल की बात अच्छी तरह समझती थी। सुनील की नजरें अक्सर उसके बदन का मुआयना करती रहती थी… शायद अन्दर तक का अहसास करती थी। मैं भी उसकी जवानी देख कर चकित थी। उसके उभार छोटे छोटे पर नुकीले थे। उसके होठं पतले लेकिन फ़ूल की पन्खुडियों जैसे थे।
एक दिन सुनील ने रात को चुदाई के समय मुझे अपने दिल की बात बता ही दी। उसने कहा -"नेहा… आशा कितनी सेक्सी है ना…"
"हं आ… हां… है तो …… जवान लडकियां तो सेक्सी होती ही है…" मैं उसका मतलब समझ रही थी।
"उसका बदन देखा … उसे देख कर तो... यार मन मचल जाता है……" सुनील ने कुछ अपना मतलब साधते हुए कहा।
"अच्छा जी… बता भी दो जानू… जी क्या करता है……" मैं हंस पड़ी… मुझे पता था वो क्या कहेगा…
"सुनो नेहा … उसे पटाओ ना … उसे चोदने का मन करता है…"
"हाय… नौकरानी को चोदोगे … पर हां …वो चीज़ तो चोदने जैसी तो है…"
"तो बोलो … मेरी मदद करोगी ना …"
"चलो यार …तुम भी क्या याद करोगे … कल से ही उसे पानी पानी करती हूं……"
फिर मै सोच में पड़ गयी कि क्या तरीका निकाला जाये। सेक्स तो सभी की कमजोरी होती ही है। मुझे एक तरकीब समझ में आयी।
दूसरे दिन आशा के आने का समय हो रहा था…… मैने अपने टीवी पर एक ब्ल्यू हिन्दी फ़िल्म लगा दी। उस फ़िल्म में चुदाई के साथ हिन्दी डायलोग भी थे। आशा कमरे में सफ़ाई करने आयी तो मै बाथरूम में चली गयी। सफ़ाई करने के लिये जैसे ही वो कमरे के अन्दर आयी तो उसकी नजर टीवी पर पडी… चुदाई के सीन देख कर वो खडी रह गयी। और सीन देखती रही।
मैं बाथरूम से सब देख रही थी। उसे मेरा वीडियो प्लेयर नजर नहीं आया क्योंकि वह लकडी के केस में था। वो धीरे से बिस्तर पर बैठ गयी। उसे पिक्चर देख कर मजा आने लग गया था। चूत में लन्ड जाता देख कर उसे और भी अधिक मजा आ रहा था। धीरे धीरे उसका हाथ अब उसके स्तनो पर आ गया था.. वह गरम हो रही थी। मेरी तरकीब सटीक बैठी। मैने मौका उचित समझा और बथरूम से बाहर आ गयी…
"अरे… टीवी पर ये क्या आने लगा है…"
"दीदी… साब तो है नहीं…चलने दो ना…अपन ही तो है…"
"अरे नहीं आशा… इसे देख कर दिल में कुछ होने लगता है…" मैं मुस्करा कर बोली
मैने चैनल बदल दिया… आशा के दिल में हलचल मच गयी थी … उसके जवान जिस्म में वासना ने जन्म ले लिया था।
"दीदी… ये किस चेनल से आता है …"उसकी उत्सुकता बढ रही थी।
"अरे तुझे देखना है ना तो दिन को फ़्री हो कर आना … फिर अपन दोनो देखेंगे… ठीक है ना…"
"हां दीदी…तुम कितनी अच्छी हो…" उसने मुझे जोश में आकर प्यार कर लिया। मैं रोमांचित हो उठी… आज उसके चुम्बन में सेक्स था। उसने अपना काम जल्दी से निपटा लिया… और चली गयी। तीर निशाने पर लग चुका था।
करीब दिन को एक बजे आशा वापस आ गयी। मैने उसे प्यार से बिस्तर पर बैठाया और नीचे से केस खोल कर प्लेयर में सीडी लगा दी और मैं भी बिस्तर पर बैठ गयी। ये दूसरी फ़िल्म थी। फ़िल्म शुरू हो चुकी थी। मैं आशा के चेहरे का रंग बदलते देख रही थी। उसकी आंखो में वासना के डोरे आ रहे थे। मैने थोडा और इन्तजार किया… चुदाई के सीन चल रहे थे।
मेरे शरीर में भी वासना जाग उठी थी। आशा का बदन भी रह रह कर सिहर उठता था। मैने अब धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखा। उसकी धडकने तक महसूस हो रही थी। मैने उसकी पीठ सहलानी चालू कर दी। मैने उसे हल्के से अपनी ओर खींचने की कोशिश की… तो वो मेरे से सट गयी। उसका कसा हुआ बदन…उसकी बदन की खुशबू… मुझे महसूस होने लगी थी। टीवी पर शानदार चुदाई का सीन चल रहा था। आशा का पल्लू उसके सीने से नीचे गिर चुका था… मैने धीरे से उसके स्तनों पर हाथ रख दिया… उसने मेरा हाथ स्तनों के ऊपर ही दबा दिया। और सिसक पडी।
"आशा… कैसा लग रहा है…"
"दीदी… बहुत ही अच्छा लग रहा है…कितना मजा आ रहा है…" कहते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा … मैने उसकी चूंचियां सहलानी शुरू कर दी… उसने मेरा हाथ पकड लिया…
"बस दीदी… अब नहीं …"
"अरे मजे ले ले … ऐसे मौके बार बार नहीं आते……" मैने उसके थरथराते होंठों पर अपने होंठ रख दिये… आशा उत्तेजना से भरी हुयी थी। आशा ने मेरे स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे दबाने लगी। मैने उसका लहंगा ऊपर उठा दिया… और उसकी चिकनी जांघों पर हाथ से सहलाने लगी… अब मेरे हाथ उसकी चूत पर आ चुके थे। चूत चिकनाई और पानी छोड रही थी। मेरे हाथ लगाते ही आशा मेरे से लिपट गयी। मुझे लगा मेरा काम हो गया।
"दीदी… हाय… नहीं करो ना … मां…री… कैसा लग रहा है…"
मैने उसकी चूत के दाने को हल्के हल्के से हिलाने लगी…। वो नीचे झुकती जा रही थी… उसकी आंखे नशे में बन्द हो रही थी।
उधर सुनील लन्च पर आ चुका था। उसने अन्दर कमरे में झांक कर देखा। मैने उसे इशारा किया कि अभी रुको। मैने आशा को और उत्तेजित करने के लिये उससे कहा - "आशा … आ मैं तेरा बदन सहला दूं…… कपड़े उतार दे …"
"दीदी … ऊपर से ही मेर बदन दबा दो ना…" वो बिस्तर पर लेट गयी। मैं उसके उभारों को दबाती रही…उसकी सिसकियां बढती रही… मैने अब उसकी उत्तेजना देख कर उसका ब्लाऊज उतार दिया… उसने कुछ नहीं कहा… मैने भी यह देख कर अपने कपडे तुरन्त उतार दिये। अब मैं उसकी चूत पर अपनी उंगली से दबा कर सहलाने लगी… और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। उसके मुख से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी…
"आशा … हाय कितना मजा आ रहा है… है ना…"
"हां दीदी… हाय रे… मैं मर गयी…"
"लन्ड से चुदोगी आशा… मजा आयेगा…"
"कैसे दीदी … लन्ड कहां से लाओगी…"
"कहो तो सुनील को बुला दूं … तुम्हे चोद कर मस्त कर देगा"
"नहीं …नहीं … साब से नहीं …"
"अच्छा उल्टी लेट जाओ … अब पीछे से तुम्हारे चूतड़ भी मसल दूं…"
वो उल्टी लेट गयी। मैने उसकी चूत के नीचे तकिया लगा दिया। और उसकी गान्ड ऊपर कर दी। अब मैने उसके दोनो पैर चौड़ा दिये और उसके गान्ड के छेद पर और उसके आस पास सहलाने लगी। वो आनन्द से सिसकारियां भरने लगी।
सुनील दरवाजे के पास खडा हुआ सब देख रहा था। उसने अपने कपड़े भी उतार लिये। ये सब कुछ देख कर सुनील का लन्ड टाईट हो चुका था। उसने अपना लन्ड पर उंगलियों से चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगा। मैं आशा की गान्ड और चूतडों को प्यार से सहला रही थी। उसकी उत्तेजना बहुत बढ चुकी थी। मैने सुनील को इशारा कर दिया… कि लोहा गरम है…… आ जाओ…।
सुनील दबे पांव अन्दर आ गया। मैने इशारा किया कि अब चोद डालो इसे। उसके फ़ैले हुये पांव और खुली हुयी चूत सुनील को नजर आ रही थी। ये देख कर उसका लन्ड और भी तन्नाने लगा । सुनील उसकी पैरों के बीच में आ गया। मैं आशा के पीछे आ गयी… सुनील ने आशा के चूतडों के पास आकर लन्ड को उसकी चूत पर रख दिया। आशा को तुरन्त ही होश आया…पर तब तक देर हो चुकी थी। सुनील ने उस काबू पा लिया था। वो उसके चूतडों से नीचे लन्ड चूत पर अड़ा चुका था। उसके हाथों और शरीर को अपने हाथों में कस चुका था।
आशा चीख उठी…पर तब तक सुनील का हाथ उसका मुँह दबा चुका था। मैने तुरन्त ही सुनील का लन्ड का निशाना उसकी चूत पर साध दिया। सुनील हरकत में आ गया।
उसका लन्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। चूत गीली थी…चिकनी थी पर अभी तक चुदी नहीं थी। दूसरे ही धक्के में लन्ड गहराई में उतरता चला गया। आशा की आंखे फ़टी पड़ रही थी। घू घू की आवाजें निकल रही थी। उसने अपने हाथों से जोर लगा कर मेरा हाथ अपने मुह से हटा लिया। और जोर से रो पडी… उसकी आंखो से आंसू निकल रहे थे… चूत से खून टपकने लगा था।
"बाबूजी … छोड दो मुझे… मत करो ये……" उसने विनती भरे स्वर में रोते हुये कहा। पर लन्ड अपना काम कर चुका था।
"बस…बस… अभी सब ठीक हो जायेगा… रो मत…" मैने उसे प्यार से समझाया।
"नहीं बस… छोड़ दो अब … मैं तो बरबाद हो गयी दीदी… आपने ये क्या कर दिया…" वो नीचे दबी हुयी छटपटाती रही। हम दोनों ने मिलकर उसे दबोच लिया। दबी चीखें उसके मुह से निकलती रही। सुनील ने लन्ड को धीरे धीरे से अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया।
"साब…छोड़ दो ना … मैं तो बरबाद हो गयी…… हाऽऽऽय…" वो रो रो कर… विनती करती रही। सुनील ने अब उसकी चूंचियां भी भींच ली। वो हाय हाय करके रोती रही …नीचे से अपने बदन को छटपटाकर कर हिलाती कर निकलने की कोशिश करती रही। लेकिन वो सुनील के शरीर और हाथों में बुरी तरह से दबी थी। अन्तत: उसने कोशिश छोड दी और निढाल हो कर रोती रही।
सुनील ने अपनी चुदाई अब तेज कर दी … उसका कुंवारापन देख कर सुनील और भी उत्तेजित होता जा रहा था। धक्के तेजी पर आ गये थे। कुछ ही देर में आशा का रोना बन्द हो गया … और अन्दर ही अन्दर शायद उसे मस्ती चढने लगी…
"हाय मैं लुट गयी… मेरी इज़्ज़त चली गयी…।" बस आंखे बन्द करके यही बोलती जा रही थी… नीचे तकिया खून से सन गया था। अब सुनील ने उसकी चूंचियां फिर से पकड ली और उन्हे दबा दबा कर चोदने लगा। आशा अब चुप हो गयी थी… शायद वो समझ चुकी थी कि उसकी झिल्ली फ़ट चुकी है और अब बचने का भी कोई रास्ता नही है। पर अब उसके चेहरे से लग लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है। मैने भी चैन की सांस ली…।
मैने देखा कि सुनील का लन्ड खून से लाल हो चुका था। उसकी कुँवारी चूत पहली बार चुद रही थी। उसकी टाईट चूत का असर ये हुआ कि सुनील जल्दी ही चरमसीमा पर पहुंच गया। अचानक नीचे से आशा की सिसकारी निकल पडी और वो झड़ने लगी। सुनील को लगा कि आशा को अन्तत: मजा आने लगा था और वो उसी कारण वो झड़ गयी थी।
अब सुनील ने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और अपनी पिचकारी छोड दी। सारा वीर्य आशा के चूतडों पर फ़ैलने लगा। मैने जल्दी से सारा वीर्य आशा की चूतडों पर फ़ैला दिया। सुनील अब शान्त हो चुका था।
सुनील बिस्तर से नीचे उतर आया। आशा को भी चुदने के बाद अब होश आया… वो वैसी ही लेटी हुई अब रोने लगी थी।
"बस अब तो हो गया … चुप हो जा…देख तेरी इच्छा भी तो पूरी हो गयी ना…"
"दीदी… आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया… मैं अब कल से काम पर नहीं आऊंगी…" वो उठते हुये रोती हुई बोली… उसने अपने कपडे उठाये और पहनने लगी… सुनील भी कपडे पहन चुका था।
मैने सुनील को तुरन्त इशारा किया … वो समझ चुका था… जैसे ही आशा जाने को मुडी मैने उसे रोक लिया…"सुनो आशा… सुनील क्या कह रहा है……"
"आशा … मुझे माफ़ कर दो … देखो मुझसे रहा नही गया तुम्हे उस हालत में देख कर… प्लीज…"
"नहीं… नहीं साब… आपने तो मुझे बरबाद कर दिया है … मैं आपको कभी माफ़ नहीं करूंगी…" उसका चेहरा आंसुओं से तर था।
सुनील ने अपनी जेब से सौ सौ के दो नोट निकाल कर उसे दिये…पर उसने देख कर मुह फ़ेर लिया… उसने फिर और सौ सौ के पाँच नोट निकाल दिये… उसकी आंखो में एकबारगी चमक आ गयी… मैने तुरन्त उसे पहचान लिया। मैने सुनील के हाथ से नोट लिये और अपने पर्स से सौ सौ के कुल एक हज़ार रुपये निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिये। उसका चेहरा खिल उठा।
"देख … ये साब ने गलती की ये उसका हरज़ाना है… हां अगर साब से और गलती करवाना हो तो इतने ही नोट और मिलेंगे…"
"दीदी … मैं आपकी आज से बहन हूं… मुझे पैसों की जरूरत किसे नहीं होती है…" मैने उसे आशा को गले लगा लिया…
"आशा …… माफ़ कर देना… तू सच में आज से मेरी बहन है… तेरी इच्छा हो … तभी ये करना…" आशा खुश हो कर जाने लगी… दरवाजे से उसने एक बार फिर मुड़ कर देखा … फिर भाग कर आयी … और मेरे से लिपट गयी… और मेरे कान में कहा, "दीदी… साब से कहना … धन्यवाद…"
" अब साब नहीं ! जीजाजी बोल ! और धन्यवाद किस लिये …… पैसों के लिये …"